तुझ को बताया भी था कि मोहब्बत
नन्हे बच्चों की हँसी से बहुत मुख़्तलिफ़ है मगर
तू ने नदी में मौजूद मछलियों से
पानी की 'अज़्मत के क़िस्से सुने और
मोहब्बत करने की ठान ली
काश तब तुम्हें 'इल्म होता
उल्लू को आबादियों से नफ़रत क्यों हुई
ख़ुदा ने हमें मोहब्बत की देवी से
बचाने के लिए परिंदों को ख़त दे कर
हमारी तरफ़ भेजा मगर
उन्हें उन तीर-अंदाजों ने मार डाला जो अभी
जंग हार कर अपने गाँव लौट रहे थे
नदी किनारे बैठे दो प्रेमी इक दूसरे को
चूमते तो रहे मगर इक दूसरे को बता न सके
कि मोहब्बत किस परिंदे का नाम है
ज़मीन पर ख़ुदा के मुक़र्रर-कर्दा
फ़रिश्तों ने मोहब्बत करने का सोचा तो उन्हें
समुंदरों में ज़म कर दिया गया
मोहब्बत कहने को लफ़्ज़ है मगर
जिसे तुम न समझे वो एहसास था
कई सदियों से मोहब्बत का सफ़र करता
मैं आज उसी जगह हूँ जहाँ से चला था
कई बरस से मेरे घर के दरवाज़े
तेरी दस्तक के लिए तरस रहे हैं
और उन को भी किसी की याद की दीमक
अन्दर से खाए जा रही है
मेरी जाँ हिज्र में इंतिज़ार
कोई आसाँ बात तो नहीं
तेरे जाने को आज
पाँच बरस मुकम्मल होने को हैं
मगर तेरी चूड़ियों की खनक आज तक
मेरे कानों में गूँज रही है
तेरी हिजरत के बा'द मुझे एहसास हुआ
कि बारिश की आवाज़ में भी इक मौसीक़ी है
जिसे सुन कर लोगों ने मोहब्बत करना सीखा
मैं ने चाहा था कि हमारे दरमियाँ इक आख़िरी मुलाक़ात होती जहाँ हम
लफ़्ज़ों की जगह इक दूसरे की ख़ामोशी को समझते
मगर इस मुलाक़ात में आठवें बर्र-ए-आज़म से आए
कुछ अंजान लोग रुकावट बने
जो यूनानी ख़ुदाओं की ना-जाएज़ औलाद थे
तुम नहीं जानती तुम्हारी हिजरत के बा'द
कितने चराग़ों ने ज़हर के प्याले नोश किए
कितने परिंदों ने गाँव छोड़ दिया
कितने पहाड़ों को नदियों ने अपनी आग़ोश में ले लिया
कितनी तितलियों ने अपने रंग ख़ुदा के कैनवस को तोहफ़ा कर दिए
तो किसी ने तेरी आवाज़ सुनने के लिए
शहरों के शोर को छोड़ कर
जंगलों में बसेरा कर लिया
तेरी हिजरत के बा'द मैं ने ख़ुदा से
बग़ावत का सोचा तो ख़याल आया
कि तू भी उसी की तख़्लीक़ है
मैं ने वीरान शाह-राहों पे रेंगती ख़ामोशी में
तेरी हिजरत का दुख देखा
मैं ने बीस हज़ार साल पुराने खंडरात की
दीवार पर तेरा नाम लिखा हुआ पढ़ा तो महसूस हुआ
तू तो गुज़िश्ता सदियों से लोगों का अरमाँ रहा
मैं ने सौ-साला पुराने बरगद के पेड़ से
तेरी मोहब्बत के क़िस्से सुने तो पता चला
कि ख़ला-बाज़ चाँद पर ज़िंदगी की
तलाश में क्यों हैं
मैं ने पुराने शा'इरों की नज़्मों में
तेरी हिजरत का दुख महसूस किया
मैं ने दरगाहों के बाहर बैठे फ़क़ीरों के चेहरों पर
तेरी हिजरत का ग़म देखा है
कितने दरख़्त तेरी तलब की मन्नत के धागों से भर गए
और ज़मीं ने उन्हें अपनी आग़ोश में ले लिया
ज़लज़लों से बोसीदा घरों के मलबों से
मिलने वाले ख़ुतूत में
मैं ने तेरे लिए मोहब्बत-भरे जुमले देखे
मैं ने यूनानी ख़ुदाओं की किताबों में तेरे क़िस्से पढ़े
तो महसूस हुआ तेरी मोहब्बत की दास्ताँ में
मेरा किरदार एक टिशू पेपर से ज़ियादा न था
चुनाँचे मैं ने अपनी बीनाई उल्लू को तोहफ़ा की
अपनी लाचार मोहब्बत को वेंटीलेटर पर छोड़ा
और जंगल का रुख़ कर लिया
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