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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अख़्तर शीरानी

1905 - 1948 | लाहौर, पाकिस्तान

सबसे लोकप्रिय उर्दू शायरों में से एक। गहरी रूमानी शायरी के लिए प्रसिद्ध

सबसे लोकप्रिय उर्दू शायरों में से एक। गहरी रूमानी शायरी के लिए प्रसिद्ध

अख़्तर शीरानी के ऑडियो

ग़ज़ल

मैं आरज़ू-ए-जाँ लिखूँ या जान-ए-आरज़ू!

मुनव्वर सुल्ताना

आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या

मुईन शादाब

किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं

मुईन शादाब

वो कहते हैं रंजिश की बातें भुला दें

मुईन शादाब

आओ बे-पर्दा तुम्हें जल्वा-ए-पिन्हाँ की क़सम

ख़ालिद मुबश्शिर

उस मह-जबीं से आज मुलाक़ात हो गई

ख़ालिद मुबश्शिर

ख़यालिस्तान-ए-हस्ती में अगर ग़म है ख़ुशी भी है

ख़ालिद मुबश्शिर

दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया

ख़ालिद मुबश्शिर

मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ

ख़ालिद मुबश्शिर

सू-ए-कलकत्ता जो हम ब-दिल-ए-दीवाना चले

ख़ालिद मुबश्शिर

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