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अली जव्वाद ज़ैदी

1916 - 2004 | लखनऊ, भारत

प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं

प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं

अली जव्वाद ज़ैदी

ग़ज़ल 35

नज़्म 2

 

अशआर 27

ये दुश्मनी है साक़ी या दोस्ती है साक़ी

औरों को जाम देना मुझ को दिखा दिखा के

जिन हौसलों से मेरा जुनूँ मुतमइन था

वो हौसले ज़माने के मेयार हो गए

ऐश ही ऐश है सब ग़म है

ज़िंदगी इक हसीन संगम है

अब दर्द में वो कैफ़ियत-ए-दर्द नहीं है

आया हूँ जो उस बज़्म-ए-गुल-अफ़्शाँ से गुज़र के

लज़्ज़त-ए-दर्द मिली इशरत-ए-एहसास मिली

कौन कहता है हम उस बज़्म से नाकाम आए

रेखाचित्र 1

 

पुस्तकें 81

ऑडियो 10

आँख कुछ बे-सबब ही नम तो नहीं

उफ़ वो इक हर्फ़-ए-तमन्ना जो हमारे दिल में था

ऐश ही ऐश है न सब ग़म है

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