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जिगर मुरादाबादी

1890 - 1960 | मुरादाबाद, भारत

सबसे प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में शामिल अत्याधिक लोकप्रियता के लिए विख्यात

सबसे प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में शामिल अत्याधिक लोकप्रियता के लिए विख्यात

जिगर मुरादाबादी

ग़ज़ल 81

नज़्म 7

अशआर 170

ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे

इक आग का दरिया है और डूब के जाना है

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं

हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं

कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

हम ने सीने से लगाया दिल अपना बन सका

मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया

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उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें

मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे

क़िस्सा 5

 

नअत 1

 

पुस्तकें 74

चित्र शायरी 22

वीडियो 70

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

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जिगर मुरादाबादी

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जिगर मुरादाबादी

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जिगर मुरादाबादी

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जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

Jigar reciting his poetry in a mushaira

Jigar reciting his poetry in a mushaira जिगर मुरादाबादी

Wo Sabza Nang'e Chaman Hai

जिगर मुरादाबादी

जान कर मिन-जुमला-ए-ख़सान-ए-मय-ख़ाना मुझे

जिगर मुरादाबादी

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद

जिगर मुरादाबादी

ये दिन बहार के अब के भी रास आ न सके

जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी

अगर न ज़ोहरा-जबीनों के दरमियाँ गुज़रे

जिगर मुरादाबादी

अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहीं

जिगर मुरादाबादी

क्या त'अज्जुब कि मिरी रूह-ए-रवाँ तक पहुँचे

जिगर मुरादाबादी

जेहल-ए-ख़िरद ने दिन ये दिखाए

जिगर मुरादाबादी

जान कर मिन-जुमला-ए-ख़सान-ए-मय-ख़ाना मुझे

जिगर मुरादाबादी

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद

जिगर मुरादाबादी

ये दिन बहार के अब के भी रास आ न सके

जिगर मुरादाबादी

शाएर-ए-फ़ितरत हूँ जब भी फ़िक्र फ़रमाता हूँ मैं

जिगर मुरादाबादी

ऑडियो 34

अगर न ज़ोहरा-जबीनों के दरमियाँ गुज़रे

अगर न ज़ोहरा-जबीनों के दरमियाँ गुज़रे

अल्लाह रे इस गुलशन-ए-ईजाद का आलम

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