अदब की तख़्लीक़ के तीन मुहर्रिक हो सकते हैं। लिखने वाले की अपनी इन्फ़िरादियत और ख़ुदी, उसके अपने जज़्बाती तजुर्बात-ओ-हादिसात और उसका समाजी, इक़्तिसादी और सियासी माहौल।
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काम किसी ग़रज़ से नहीं किया जाता। इन्सान काम से अपनी पैदाइश का मक़सद पूरा करता है।
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