तुम से उल्फ़त के तक़ाज़े न निबाहे जाते नाहीद अख़्तर
तुम से उल्फ़त के तक़ाज़े न निबाहे जाते नाहीद अख़्तर
जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं नाहीद अख़्तर
तिरी उमीद तिरा इंतिज़ार जब से है नाहीद अख़्तर
फिर चराग़-ए-लाला से रौशन हुए कोह ओ दमन नाहीद अख़्तर
ये आलम शौक़ का देखा न जाए नाहीद अख़्तर
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