प्रीतपाल सिंह बेताब
ग़ज़ल 30
नज़्म 2
अशआर 2
मेरी तन्हाई की पगडंडी पर
मेरे हम-राह ख़ुदा रहता है
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मंज़र-ए-सर्व-ओ-समन याद आया
फिर से गुम-गश्ता वतन याद आया
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