शौक़ बहराइची
ग़ज़ल 28
नज़्म 1
अशआर 2
हर मुल्क इस के आगे झुकता है एहतिरामन
हर मुल्क का है फ़ादर हिन्दोस्ताँ हमारा
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere