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तिलोकचंद महरूम

1887 - 1966 | दिल्ली, भारत

प्रसिद्ध उर्दू स्कालर और शायर जगन्नाथ आज़ाद के पिता

प्रसिद्ध उर्दू स्कालर और शायर जगन्नाथ आज़ाद के पिता

तिलोकचंद महरूम

ग़ज़ल 62

नज़्म 13

अशआर 20

अक़्ल को क्यूँ बताएँ इश्क़ का राज़

ग़ैर को राज़-दाँ नहीं करते

तलातुम आरज़ू में है तूफ़ाँ जुस्तुजू में है

जवानी का गुज़र जाना है दरिया का उतर जाना

दाम-ए-ग़म-ए-हयात में उलझा गई उमीद

हम ये समझ रहे थे कि एहसान कर गई

बुरा हो उल्फ़त-ए-ख़ूबाँ का हम-नशीं हम तो

शबाब ही में बुरा अपना हाल कर बैठे

ये फ़ितरत का तक़ाज़ा था कि चाहा ख़ूब-रूओं को

जो करते आए हैं इंसाँ करते हम तो क्या करते

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रुबाई 14

पुस्तकें 65

ऑडियो 8

इस का गिला नहीं कि दुआ बे-असर गई

क्या सुनाएँ किसी को हाल अपना

ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे

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