aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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बहराम जी
1828 - 1895
शायर
जे. पी. सईद
साइम जी
जे ई नज्म
शोख़ जी
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
1931 - 2015
लेखक
मिरान जी श्म्स-उल-उश्शाक़
1496 - 1557
जे. नंदर कुमार
शाह जी अली
सय्यद मीराँ जी ख़ुदा वन्दे ख़ुदा नुमा
1625 - 1672
जयप्रकाश नारायण
1902 - 1979
जे. कृष्णा मूर्ती
जे.सी. सेठी
पर्काशक
अर्नोल्ड जे. टॉयनबी
1889 - 1975
एम. जे. आलम
सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस कीजो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं
यूँ जो तकता है आसमान को तूकोई रहता है आसमान में क्या
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या हैतू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लोनश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
मीरा जी एक मुताला
जमील जालिबी
1991शायरी
Dilli Jo Ek Shahar Tha
शाहिद अहमद देहलवी
2011मज़ामीन / लेख
Jo Mile The Raste me
अहमद बशीर
Jo Maine Dekha
राव अब्दुल रशीद
1985इंटरव्यू / साक्षात्कार
वो जो शाइरी का सबब हुआ
कलीम आजिज़
1976काव्य संग्रह
परवाज़
2005आत्मकथा
Inqilab-e-France
जे. एम. थॉम्पसन
1979इतिहास
मीरा जी शख़सियत और फ़न
रशीद अमजद
शायरी
Tareekh-e-Europe
ए. जे. ग्रांट
1931इतिहास
राशिद, मीरा जी, फ़ैज़
मोहम्मद हमीद शाहिद
2014आलोचना
Jo Rahi So Bekhabari Rahi
अदा जाफ़री
1996आत्मकथा
खु़दा क्यों
जे एंडरसन थॉमसन जूनियर
2013विज्ञान
Aag Ke Pankh
Jo Yad Raha
आबिद सुहैल
2012आत्मकथा
मीरा जी और उनका निगार ख़ाना
शमीम हनफ़ी
2013आलोचना
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनेंजो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
जो इक नस्ल-ए-फ़रोमाया को पहुँचेवो सरमाया इकट्ठा क्यों करें हम
न जी भर के देखा न कुछ बात कीबड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना होहक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीदजो नहीं जानते वफ़ा क्या है
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
जो इश्क़ को काम समझते थेया काम से आशिक़ी करते थे
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती हैआज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन परवो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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