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नज़्म
शोरिश-ए-ज़ंजीर बिस्मिल्लाह
हुई फिर इमतिहान-ए-इशक़ की तदबीर बिस्मिल्लाह
हर इक जानिब मचा कुहराम-ए-दार-ओ-गीर बिस्मिल्लाह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हास्य शायरी
लंदन में जश्न-ए-हज़रत-ए-'ग़ालिब' की रात थी
तारीख़-ए-शाएरी में ये इक वारदात थी
दिलावर फ़िगार
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नज़्म
मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा
सिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब नक़्श-गर-ए-हादसात
सिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब अस्ल-ए-हयात-ओ-ममात
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मुफ़्लिसी
जब आदमी के हाल पे आती है मुफ़्लिसी
किस किस तरह से उस को सताती है मुफ़्लिसी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
दरख़्त-ए-ज़र्द
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
हास्य शायरी
तुझ में ऐ हिन्दोस्ताँ कुछ आज-कल हद से सिवा
चार-सू फैली हुई है शायरी की इक वबा
ज़रीफ़ लखनवी
नज़्म
हिण्डोला
दयार-ए-हिन्द था गहवारा याद है हमदम
बहुत ज़माना हुआ किस के किस के बचपन का