aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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1857 की रुस्तख़ेज़ के बाद बल्कि उससे कुछ पहले हमारे पुरखों को अंग्रेज़ी कल्चर और क्रिकेट के बाहमी ताल्लुक़ का एहसास हो चला था। चुनांचे सर सय्यद अहमद ख़ां ने भी अंग्रेज़ी तालीम-ओ-तमद्दुन के साथ साथ क्रिकेट को अपनाने की कोशिश की। रिवायत है कि जब अलीगढ़ कॉलेज के लड़के...
“फूपी बादशाही, दादा मियाँ गँवार थे न? बड़े नाना-जान उन्हें आमद नामा पढ़ाया करते थे। हमारे परनाना के दादा जान ने कभी दादा को कुछ पढ़ा दिया होगा” अब्बा मियाँ छेड़ने को बात तोड़-मोड़ कर कहलवाते। “अरे वो इस्तंजे का ढीला क्या मेरे बावा को पढ़ाता। मुजाविर कहीं का, हमारे...
इस मुहिम पर कुंदन को मामूर किया गया। उसने जाकर स्टेशन पर इधर उधर दर्याफ़्त किया। बाबूओं ने जैसा कि उनका क़ायदा है कभी इनकार किया, कभी टालना चाहा, बिलआख़िर कुंदन ने वो तेवर और लहजा इख़्तियार किया जो कभी कभी ब दर्जा मजबूरी वो यहां अपनी सफ़र मीना के...
मुझे मालूम नहीं, आप शादी शुदा हैं या कुंवारी, लेकिन मुझे ऐसा महसूस होता है कि आपको कोई तल्ख़ तजुर्बा हुआ है, जिसकी बिना पर आपने मुझे ये ख़त लिखा। अम्रद परस्ती आज से नहीं, हज़ारहा साल से क़ायम है, लेकिन आजकल इसका रुजहान क़रीब क़रीब ग़ायब होता जा रहा...
اس نظریے نے جدیدیت کو جن بنیادوں پر چیلنج کیا، وہ بنیادیں بہت گہری ہیں۔ یہ انسانی تشخص کو تمام موجود حدود، تعریفات اور اصطلاحات سے آزاد کروانے کے موقف پر استوار ہے۔ اس نظریے کی روسے انسان وہ وجود ہے جسے اپنے موجود ہونے کے کسی بھی حصے میں...
مگر دونوں آوازوں میں بڑا بنیادی فرق ہے۔ حالیؔ کی آواز ایک سہمے ہوئے آدمی کی آواز ہے، اس آدمی کی جو عشق سے خائف ہے۔ میر کی آواز ایک خواروخستہ عاشق کا مشورہ ہے۔ اس شخص کا جو پوری واردات سے گزرا ہے۔ ویسے ایک طرح سے یہ اسی...
उन तलबा की नशिस्त-ओ-बर्ख़ास्त यूनीवर्सिटी के काफ़ी हाउस “अन्नापूरना”, “कपूर्ज़' और यूनियन हाल में होती है। वैसे ये घास फूस पर भी पाए जाते हैं। ये लोग वक़्त गुज़ारी के लिए मोटरों में बैठते हैं। जिसके पास मोटर नहीं होती वो कोई न कोई मोटर तलाश कर लेता है। ख़्वाह...
“तो मैं ख़ुद उनसे सब कुछ कह दूंगी।” “जो दिल में आए कर लेना। इस वक़्त उसके इज़हार की ज़रूरत नहीं है।”...
अह्ल-ए-लाहौर अच्छी तरह जानते होंगे कि यहां एक लड़का ‘टेनी सिंह’ के नाम से मंसूब था, जो गर्वनमेंट कॉलिज में पढ़ता था। उसके एक परस्तार ने उसे एक बहुत बड़ी मोटर कार दे रखी थी। वो उसमें बड़े ठाट से आता और दूसरे लड़के जो उसी के ज़ुमरे में आते...
चौड़े माथे पर हाथ रखे वो किसी गहरी सोच में ग़र्क़ थे। उनके कान बार बार वो मुकालिमा सुन रहे थे जो उनकी बीवी और उनके दोस्त के दरमियान बड़े कमरे में हुआ था। दुकान में एक मोटर का सौदा करते करते उनकी तबीयत अचानक नासाज़ हो गई, चुनांचे ये...
देर तक बाप का बदन किसी सूखे पेड़ की मानिंद तेज़ हवा से हिलता रहा था। इन्सान के ज़ेह्नी हरकात-ओ-सकनात को क़ाबू करने वाले जज़्बे का नाम है LIBIDO... ये मर्द, औरत के मिलन से ही मुम्किन है। अपने मन चाहे साथी के साथ जिन्हें उस ख़्वाहिश की तक्मील मयस्सर...
بے در و دیوار ناٹک گھر بنایا چاہیے صحیح نام اور پتہ بتانےسے ہم قاصر ہیں، اس لیے کہ اس میں کچھ پردہ نشینوں کے بھی نام آتے ہیں۔ سردست اتنا اشارہ کافی ہوگا کہ اس تھیٹر کو اداکاروں کی ایک کوآپریٹیو سوسائٹی نقصان باہمی کی بنیاد پر چلا رہی...
डायना का मुर्दा एक कोने में पाया एक बादशाह पियाला उसके कमर पर पड़ा...
اردو میں مابعد جدیدیت کی بحثوں کو شروع ہوئے کئی برس ہوچکے ہیں۔ اہل علم جانتے ہیں کہ جدیدیت اپنا تاریخی کردار ادا کرکے بے اثر ہوچکی ہے اور جن مقدمات پر وہ قائم تھی وہ چیلنج ہوچکے ہیں۔ وہ ادیب جو حساس ہیں اور ادبی معاملات کی آگہی رکھتے...
उसे यक़ीन है कि उस रोज़ वो मुस्कुराई थी। वो इसरार भी करती है, मगर नासिर बार-बार यही कहता कि उस सह-पहर उसका चेहरा सपाट था, और उसकी बड़ी-बड़ी आँखें चैलेंज करती थीं। और उन्ही आँखों ने उसे ख़ुद से बाँध लिया था। शाम जब वो खिड़की में गई, तो...
اس کا بےچارگی سے ٹیم سے یہ کہنا، ’’کون سا لفظ لینا ہے اور کون سا نہیں، بالآخر یہ فیصلہ آپ کو ہی کرنا پڑےگا۔‘‘ سود مند ثابت ہوا تھا۔ اب وہ ہر لفظ میں گہری دلچسپی لے رہے تھے اور سچ تو یہی تھا کہ اس کے سوا اور...
taaqat ho kisii me.n to miTaa.e mirii hastiiDaa.in hai miraa naam laqab firqa-parastii
“जी हाँ आज ही बम्बई पहुँचे हैं।” “कल परसों वापस चले जाएंगे।” ...
ये बारिश-ए-संग ख़त्म इसलिए नहीं होती कि इस ज़िल्लत का तसलसुल भी हनूज़ क़ाइम है जिसने मंटो के हवास को थका डाला था। इसलिए हम ये सोचने में हक़-ब-जानिब होंगे कि मंटो का वजूद जिस वाक़िए’ से इ’बारत था, वो आज भी जारी है। उसकी मौत के साथ न तो...
کثرت میں وحدت کا یہ احساس صوفی یا عاشق کے لیے ہی بصیرت نہیں رکھتا، سیکولر ہندوستان کے لیے بھی ایک دعوت اور ایک چیلنج ہے کیونکہ ہندوستانی تہذیب کی رنگا رنگی اور اس میں ایک وحدت کو لوگوں نے زبان سے تو مان لیا مگر دل سے قبول نہیں...
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