आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bulbul"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bulbul"
ग़ज़ल
बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला
क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार में
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
अरे सय्याद हमीं गुल हैं हमीं बुलबुल हैं
तू ने कुछ आह सुना भी नहीं देखा भी नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
जब किसी फूल पे ग़श होती हुई बुलबुल को
सेहन-ए-गुलज़ार में देखोगे तो याद आऊँगा
राजेन्द्र नाथ रहबर
ग़ज़ल
दस्त-ए-सय्याद भी आजिज़ है कफ़-ए-गुल-चीं भी
बू-ए-गुल ठहरी न बुलबुल की ज़बाँ ठहरी है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आए बहुत इत्र-फ़रोश
तालिब-ए-ज़मज़मा-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
मिरे हम-सफ़ीर बुलबुल मिरा तेरा साथ ही क्या
मैं ज़मीर-ए-दश्त-ओ-दरिया तू असीर-ए-आशियाना