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नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
ग़म-ए-दौराँ ने ग़म-ए-दिल का सुकूँ छीन लिया
अब तिरे प्यार में भी प्यार के अंदाज़ नहीं
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
ग़म का मारा हर कोई ख़ुशियों का ठुकराया लगे
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
नज़ीर फ़तेहपूरी
नज़्म
मैं ने हर चंद ग़म-ए-इश्क़ को खोना चाहा
ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-दुनिया में समोना चाहा
साहिर लुधियानवी
नज़्म
तू ने छोड़ा तो ज़माने से भी रिश्ता टूटा
इश्क़ का ग़म है कोई अब ग़म-ए-दौराँ भी नहीं
सय्यद जाफ़र अमीर
नज़्म
अबस ग़म-ए-ज़िंदगी से मैं ने फ़रार चाहा
इसी तरह कर्ब-ए-जाँ-गुज़ा से मैं अब भी आतिश-ए-ब-जा हूँ हर-दम
अर्श सिद्दीक़ी
नज़्म
उफ़ मैं किस रह में ग़म-ए-दिल का मुदावा ढूँडूँ
किस तरफ़ जाऊँ किसे दिल से लगाए रक्खूँ
दाऊद ग़ाज़ी
नज़्म
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात