हौसला पर चित्र/छाया शायरी

शायरी की दुनिया अनंत

है । किसी एक विषय से ज़्यादा जीवन ही शायरी और साहित्य का विषय है । इश्क़-ओ-आश्क़ी की बात हो या हमारे जीवन का का कोई और विमर्श, शायरी इन सब से संवाद करती है । हौसला और प्रेरणा भी शायरी का एक मुख्य विषय है । असल में शायरी जीवन के हर रंग से संवाद करते हुए अपना रोल अदा करती है । अब कुछ कर जाने की क्षमता हो या किसी ख़ास अवसर पर बहादुरी के जज़्बे की बात हो शायरी अपना रोल अदा करती है ।यहाँ प्रस्तुत शायरी में आप महसूस करेंगे कि ये शायरी हमें दर्द ,दुख और जीवन की अनिश्चितताओं का सामना करने की ताक़त देती है ।

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से

हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें

उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो

अभी से पाँव के छाले न देखो

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा

साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन

ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं

शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़

हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें

नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर

बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी

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