तअल्ली पर ग़ज़लें
शायरों पर कभी-कभी आत्ममुग्घता
का ऐसा सुरूर छाता है कि वो शायरी में भी ख़ुद को ही आइडियल शक्ल में पेश करने लगता है। ऐसे अशआर तअल्ली के अशआर कहलाते हैं। तअल्ली शायरी का यह छोटा सा इन्तिख़ाब शायद आप के कुछ काम आ सके।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
का ऐसा सुरूर छाता है कि वो शायरी में भी ख़ुद को ही आइडियल शक्ल में पेश करने लगता है। ऐसे अशआर तअल्ली के अशआर कहलाते हैं। तअल्ली शायरी का यह छोटा सा इन्तिख़ाब शायद आप के कुछ काम आ सके।
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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