ज़ुल्फ़ पर चित्र/छाया शायरी

शायरी में ज़ुल्फ़ का

मौज़ू बहुत दराज़ रहा है। क्लासिकी शायरी में तो ज़ुल्फ़ के मौज़ू के तईं शायरों ने बे-पनाह दिल-चस्पी दिखाई है ये ज़ुल्फ़ कहीं रात की तवालत का बयानिया है तो कहीं उस की तारीकी का। और उसे ऐसी ऐसी नादिर तशबहों, इस्तिआरों और अलामतों के ज़रिये से बरता गया है कि पढ़ने वाला हैरान रह जाता है। शायरी का ये हिस्सा भी शोरा के बे-पनाह तख़य्युल की उम्दा मिसाल है।

पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह

पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह

हम हुए तुम हुए कि 'मीर' हुए

पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह

बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गई

बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गई

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए