शोख़ी पर चित्र/छाया शायरी

शोख़ी माशूक़ के हुस्न

में मज़ीद इज़ाफ़ा करती है। माशूक़ अगर शोख़ न हो तो उस के हुस्न में एक ज़रा कमी रह जाती है। हमारे इन्तिख़ाब किए हुए इन अशआर में आप देखेंगे कि माशूक़ की शोख़ियाँ कितनी दिल-चस्प और मज़ेदार हैं इनका इज़हार अक्सर जगहों पर आशिक़ के साथ मुकालमें में हुआ है।

पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह

पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह

इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी

तिरी अंजुमन में ज़ालिम अजब एहतिमाम देखा

पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह

जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर

इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए