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जौन एलिया को समझना मुश्किल ही नहीं ना-मुमकिन है

जौन एलिया के बेशुमार अशआर मशहूर-ए-ज़माना हैं।और उनकी मक़्बूलियत की वज्ह ये है कि वो सादा और सलीस ज़बान में हैं। हमने इस इंतिख़ाब में जौन एलिया के चंद ऐसे अशआर को शामिल किया है जिनमें ज़बान का बरताव मुश्किल है और उनको को समझने के लिए लुग़त का सहारा लेना पड़ेगा।

तेरा ख़याल ख़्वाब ख़्वाब ख़ल्वत-ए-जाँ की आब-ओ-ताब

जिस्म-ए-जमील-ओ-नौजवाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर

जौन एलिया

बे-सुतूँ इक नवाही में है शहर-ए-दिल की

तेशा इनआ'म करें और कोई फ़रहाद रखें

जौन एलिया

हुस्न से अर्ज़-ए-शौक़ करना हुस्न को ज़क पहुँचाना है

हम ने अर्ज़-ए-शौक़ कर के हुस्न को ज़क पहुँचाई है

जौन एलिया

ख़ीरा-सरान-ए-शौक़ का कोई नहीं है जुम्बा-दार

शहर में इस गिरोह ने किस को ख़फ़ा नहीं किया

जौन एलिया

लम्हा-ब-लम्हा दम-ब-दम आन-ब-आन रम-ब-रम

मैं भी गुज़िश्तगाँ में हूँ तू भी गुज़िश्तगाँ में है

जौन एलिया

मिरे हरीफ़ मिरी यक्का-ताज़ियों पे निसार

तमाम उम्र हलीफ़ों से जंग की मैं ने

जौन एलिया

एक सुरूद-ए-रौशनी नीमा-ए-शब का ख़्वाब था

एक ख़मोश तीरगी सानेहा-आश्ना भी थी

जौन एलिया

'जौन' जुनूब-ए-ज़र्द के ख़ाक-बसर ये दुख उठा

मौज-ए-शिमाल-ए-सब्ज़-जाँ आई थी और चली गई

जौन एलिया

वो मुंकिर है तो फिर शायद हर इक मकतूब-ए-शौक़ उस ने

सर-अंगुश्त-ए-हिनाई से ख़लाओं में लिखा होगा

जौन एलिया

है ये वजूद की नुमूद अपनी नफ़स नफ़स गुरेज़

वक़्त की सारी बस्तियाँ अपनी हज़ीमतों में हैं

जौन एलिया

हम-नफ़सान-ए-वज़्अ'-दार मुस्तमिआन-ए-बुर्द-बार

हम तो तुम्हारे वास्ते एक वबाल हो गए

जौन एलिया

उस की चश्म-ए-नीम-वा से पूछियो

वो तिरे मिज़्गाँ-शुमाराँ क्या हुए

जौन एलिया

तिफ़्लान-ए-कूचा-गर्द के पत्थर भी कुछ नहीं

सौदा भी एक वहम है और सर भी कुछ नहीं

जौन एलिया

पास-ए-हयात का ख़याल हम को बहुत बुरा लगा

पस ब-हुजूम-ए-मअरका जान के बे-सिपर गए

जौन एलिया

आज लब-ए-गुहर-फ़िशाँ आप ने वा नहीं किया

तज़्किरा-ए-ख़जिस्ता-ए-आब-ओ-हवा नहीं किया

जौन एलिया

वो जो थे शहर-ए-तहय्युर तिरे पुर-फ़न मे'मार

वही पुर-फ़न तुझे ढाने के लिए निकले हैं

जौन एलिया

तराह-दार-ए-इश्वा-तराज़-ए-दयार-ए-नाज़

रुख़्सत हुआ हूँ तेरे लिए दिल-गली से मैं

जौन एलिया

मानी-ए-जावेदान-ए-जाँ कुछ भी नहीं मगर ज़ियाँ

सारे कलीम हैं ज़ुबूँ सारा कलाम रंज है

जौन एलिया

सद-याद-ए-याद 'जौन' वो हंगाम-ए-दिल कि जब

हम एक गाम के थे पर हफ़्त-ख़्वाँ के थे

जौन एलिया

वो हुजूम-ए-दिल-ज़दगाँ कि था तुझे मुज़्दा हो कि बिखर गया

तिरे आस्ताने की ख़ैर हो सर-ए-रह-ए-गुबार भी अब नहीं

जौन एलिया
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