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दिल पर शेर

दिल शायरी के इस इन्तिख़ाब

को पढ़ते हुए आप अपने दिल की हालतों, कैफ़ियतों और सूरतों से गुज़़रेंगे और हैरान होंगे कि किस तरह किसी दूसरे, तीसरे आदमी का ये बयान दर-अस्ल आप के अपने दिल की हालत का बयान है। इस बयान में दिल की आरज़ुएँ हैं, उमंगें हैं, हौसले हैं, दिल की गहराइयों में जम जाने वाली उदासियाँ हैं, महरूमियाँ हैं, दिल की तबाह-हाली है, वस्ल की आस है, हिज्र का दुख है।

अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज

नादान था मगर ये दिवाना कभी था

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

मैं जाता हूँ दिल को तिरे पास छोड़े

मिरी याद तुझ को दिलाता रहेगा

ख़्वाजा मीर दर्द

जिस ने मह-पारों के दिल पिघला दिए

वो तो मेरी शाएरी थी मैं था

अब्दुल हमीद अदम

अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है

दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए

माहिर-उल क़ादरी

दिल पर दस्तक देने कौन निकला है

किस की आहट सुनता हूँ वीराने में

गुलज़ार

मैं ने दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है

और तू है कि मिरी जान को आया हुआ है

अजमल सिराज

ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे

सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है

अहमद फ़राज़

दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ

कोई रहता है इस मकाँ में अभी

अंजुम रूमानी

दिल जो टूटा है तो फिर याद नहीं है कोई

इस ख़राबे में अब आबाद नहीं है कोई

सरफ़राज़ ख़ालिद

दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से

कैसी तन्हाई टपकती है दर दीवार से

अकबर हैदराबादी

पहलू में मेरे दिल को दर्द कर तलाश

मुद्दत हुई ग़रीब वतन से निकल गया

अमीर मीनाई

दिल से आती है बात लब पे 'हफ़ीज़'

बात दिल में कहाँ से आती है

हफ़ीज़ होशियारपुरी

वो दिल में के निकलते नहीं हैं फिर दिल से

वहीं के हो रहे दम-भर जहाँ क़याम किया

जलील मानिकपूरी

दिल मिरा दर्द के सिवा क्या है

इब्तिदा ये तो इंतिहा क्या है

सोज़ होशियारपूरी

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी

दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी

परवीन शाकिर

कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ

धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया

दिल उस को दे दिया तो भला क्या बुरा किया

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें

इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में

बहादुर शाह ज़फ़र

की है सरगोशी सर-ए-शाम मिरे दिल ने फिर

इस लिए हम ने लपेटा नहीं बिस्तर अपना

ख़ान रिज़वान

दिल हुआ जान हुई उन की भला क्या क़ीमत

ऐसी चीज़ों के कहीं दाम दिए जाते हैं

बेख़ुद देहलवी

चमक रहा है ख़ेमा-ए-रौशन दूर सितारे सा

दिल की कश्ती तैर रही है खुले समुंदर में

ज़ेब ग़ौरी

''आप की याद आती रही रात भर''

चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मुझ को ये फ़िक्र कि दिल मुफ़्त गया हाथों से

उन को ये नाज़ कि हम ने उसे छीना कैसा

नूह नारवी

आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें

दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की

जलील मानिकपूरी

दिल मिरा शाकी-ए-जफ़ा हुआ

ये वफ़ादार बेवफ़ा हुआ

फ़िगार उन्नावी

समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने

दिल से तो पूछ लीजिए क्यूँ बे-क़रार है

लाला माधव राम जौहर

जानता है कि वो आएँगे

फिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर हो

ये घर उजड़ गया तो बसाया जाएगा

शकील बदायूनी

मैं ठहरता गया रफ़्ता रफ़्ता

और ये दिल अपनी रवानी में रहा

अबरार अहमद

इज़हार-ए-हाल का भी ज़रीया नहीं रहा

दिल इतना जल गया है कि आँखों में नम नहीं

इस्माइल मेरठी

किसी ख़याल किसी ख़्वाब के लिए 'ख़ुर्शीद'

दिया दरीचे में रक्खा था दिल जलाया था

ख़ुर्शीद रब्बानी

जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई

फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई

आसी ग़ाज़ीपुरी

जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकते

मोहब्बत दीन होती है वफ़ा ईमान होती है

आरज़ू लखनवी

दिल में आओ मज़े हों जीने के

खोल दूँ मैं किवाड़ सीने के

लाला माधव राम जौहर

बदलती जा रही है दिल की दुनिया

नए दस्तूर होते जा रहे हैं

शकील बदायूनी

और क्या देखने को बाक़ी है

आप से दिल लगा के देख लिया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दिल की क़ीमत तो मोहब्बत के सिवा कुछ भी थी

जो मिले सूरत-ए-ज़ेबा के ख़रीदार मिले

जमील मलिक

दिल की लहरों का तूल-ओ-अर्ज़ पूछ

कभू दरिया कभू सफ़ीना है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का

असद अली ख़ान क़लक़

बीमार-ए-ग़म की चारागरी कुछ ज़रूर है

वो दर्द दिल में दे कि मसीहा कहें जिसे

आसी ग़ाज़ीपुरी

आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें

हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं

साहिर लुधियानवी

तेरा क़ुसूर-वार ख़ुदा का गुनाहगार

जो कुछ कि था यही दिल-ए-ख़ाना-ख़राब था

लाला माधव राम जौहर

एक दिल है कि नहीं दर्द से दम भर ख़ाली

वर्ना क्या क्या नज़र आए भरे घर ख़ाली

जलील मानिकपूरी

इतना मैं इंतिज़ार किया उस की राह में

जो रफ़्ता रफ़्ता दिल मिरा बीमार हो गया

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

की तर्क-ए-मोहब्बत तो लिया दर्द-ए-जिगर मोल

परहेज़ से दिल और भी बीमार पड़ा है

लाला माधव राम जौहर

तेरे आने से यू ख़ुशी है दिल

जूँ कि बुलबुल बहार की ख़ातिर

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

दश्त-ए-वफ़ा में जल के रह जाएँ अपने दिल

वो धूप है कि रंग हैं काले पड़े हुए

होश तिर्मिज़ी

दिल गया रौनक़-ए-हयात गई

ग़म गया सारी काएनात गई

जिगर मुरादाबादी

हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत

फिर भी दोस्त तिरी एक नज़र से कम है

इदरीस बाबर

तुम कहाँ वस्ल कहाँ वस्ल की उम्मीद कहाँ

दिल के बहकाने को इक बात बना रखी है

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

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