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हसरत मोहानी

1878 - 1951 | दिल्ली, भारत

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

हसरत मोहानी

ग़ज़ल 69

नज़्म 1

 

अशआर 88

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है

नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती

मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं

चोरी चोरी हम से तुम कर मिले थे जिस जगह

मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है

आरज़ू तेरी बरक़रार रहे

दिल का क्या है रहा रहा रहा

तेरी महफ़िल से उठाता ग़ैर मुझ को क्या मजाल

देखता था मैं कि तू ने भी इशारा कर दिया

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वीडियो 21

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Kahkashan (Documentary on Hasrat Mohani) Part 1

Kahkashan (Documentary on Hasrat Mohani) Part 2

Kahkashan (Documentary on Hasrat Mohani) Part 3

Kahkashan (Documentary on Hasrat Mohani) Part 4

Kahkashan (Documentary on Hasrat Mohani) Part 5

ऑडियो 28

अपना सा शौक़ औरों में लाएँ कहाँ से हम

आप ने क़द्र कुछ न की दिल की

उन को जो शुग़्ल-ए-नाज़ से फ़ुर्सत न हो सकी

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