join rekhta family!
ग़ज़ल 169
नज़्म 17
शेर 163
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
-
टैग : ज़र्बुल-मसल
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
-
टैग : श्रद्धांजलि
मर्सिया 1
क़ितआ 22
पुस्तकें 15
चित्र शायरी 37
मैं ने हर बार तुझ से मिलते वक़्त तुझ से मिलने की आरज़ू की है तेरे जाने के ब'अद भी मैं ने तेरी ख़ुशबू से गुफ़्तुगू की है
दिल-ए-बर्बाद को आबाद किया है मैं ने आज मुद्दत में तुम्हें याद किया है मैं ने ज़ौक़-ए-परवाज़-ए-तब-ओ-ताब अता फ़रमा कर सैद को लाइक़-ए-सय्याद किया है मैं ने तल्ख़ी-ए-दौर-ए-गुज़िश्ता का तसव्वुर कर के दिल को फिर माइल-ए-फ़रियाद किया है मैं ने आज इस सोज़-ए-तसव्वुर की ख़ुशी में ऐ दोस्त ताइर-ए-सब्र को आज़ाद किया है मैं ने हो के इसरार-ए-ग़म-ए-ताज़ा से मजबूर-ए-फ़ुग़ाँ चश्म को अश्क-ए-तर इमदाद किया है मैं ने तुम जिसे कहते थे हंगामा-पसंदी मेरी फिर वही तर्ज़-ए-ग़म ईजाद किया है मैं ने फिर गवारा है मुझे इश्क़ की हर इक मुश्किल ताज़ा फिर शेव-ए-फ़रहाद किया है मैं ने