Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

तुम

MORE BYमंगेश पडगावकर

    तुम मुझे पसंद इसी लिए कुछ कुछ

    दूर रहता हूँ तुम से दूर ही से

    रंग दिखाई देते हैं तुम्हारे एहसास होता है तुम्हारे होने का

    समझ सकता हूँ तुम्हें बेहतर तरीक़े पर सिनेमा की गुत्थम गुत्था क़तारें

    देख कर ग़ुस्सा नहीं आता एक सीलन भरी खोली में

    फ़ुट-पाथ पर दफ़्तर के सड़े हुए बिल में

    क्या करे कोई इस से तो फ़िल्म ही बेहतर है

    गुदाज़ सीनों वाली अदाकारा अच्छी लगती है स्क्रीन पर

    इस के बा'द बीवी भी अच्छी लगती है घर पर

    तुम रोते हो ख़ुश होते हो शादी करते हो

    बच्चे पैदा करते हो तक़रीबों में जाते हो क़ब्रिस्तानों में जाते हो

    ठसाठस भरी लोकल ट्रेन में रमी खेलते हो फ़ुट-बोर्ड पर

    थक कर बहस करते हो सियासी मौज़ूआत पर

    'इश्क़ करते हो कभी कभी सिद्क़-ए-दिल से

    प्यार या'नी बोसा-बाज़ी भी करते हो खुल कर

    मोर्चे निकालते हो ना'रे लगाते हो मगर

    ख़ुश्क नहीं होता तुम्हारा गला किसी लम्हे भी

    चने चबाते हो गोलियाँ खाते हो शहीद होते हो

    फिर तुम्हारी यादगारों पर

    कव्वे बीट करते हैं और कामयाब सियासी नेता

    हार चढ़ाते हैं तुम्हें चुनाव से पहले

    तुम जेब काटते हो भाषण सुनते हो

    हुकूमत और शराब के अड्डे चलाते हो मंदिर जाते हो

    चाक़ू दिखाते हो बायकॉट करते हो लफ़ड़े करते हो

    तुम्हारे पास आत्मा क़यासात-ओ-नज़रियात के

    कूल्हों पर लात मारने वाली आत्मा

    तुम बहते चले जाते हो मुसलसल बहते रहते हो

    रफ़्तार उल्टी सीधी ऊपर नीचे आड़ी तिरछी रफ़्तार

    करना होगा होगा होना ही होगा

    सोचने का भी वक़्त नहीं पस लगातार जीते रहते हो

    तुम्हारी नस्लें दफ़न हो जाती हैं यही तुम्हारी रिवायत है

    तुम दादा हो गली से लेकर दिल्ली तक के

    तुम वोट देते हो सड़क पर पेशाब करते हो

    तुम्हें बावा भी चाहिए और बेवड़ा भी

    और फिर तुम ही उस की जयंती मनाते हो

    भूके नाख़ुनों से नोच लेते हो

    वो सारे सपने जो महात्माओं ने तुम्हारी ख़ातिर देखे थे

    और जब तुम्हारी बीवी बच्चा जनती है

    तब तुम बे-क़रारी से टहलते हो

    इंतिज़ार करते हो एक 'अजीब बेचैनी के साथ

    एक नई नन्ही सी आने वाली दुनिया का

    और जब लाल मिटी भरे टीन के ज़ंग-ख़ुर्दा डिब्बों को

    तुम गमलों की सूरत लटकाते हो

    उन में फूल उगाते हो तब तुम ऐसे लगते हो

    जैसे चेहरों का एक गहरा बे-अंत सागर

    जैसे एक धड़कता हुआ दिल बहुत ही विशाल

    ऐसे भरपूरपन में अपनी विशालता तुम ख़ुद हो

    तब मुझे मिलता है अपना भरपूर आदमियों

    तुम्हारे वजूद का एहसास करते हुए अपने लहू में

    तुम्हारेपन की कोख में पलता हुआ महसूस होता है मुझे

    मेरापन और रूह में उतर जाने वाले मेरे नग़्मे

    स्रोत :

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए