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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अज़रा परवीन

लखनऊ, भारत

प्रतिरोध और आधुनिक सामाजिक समस्याओं को अपनी शायरी में शामिल करनेवाली शायरा।

प्रतिरोध और आधुनिक सामाजिक समस्याओं को अपनी शायरी में शामिल करनेवाली शायरा।

अज़रा परवीन के शेर

ज़मीं के और तक़ाज़े फ़लक कुछ और कहे

क़लम भी चुप है कि अब मोड़ ले कहानी क्या

सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी

बिफर के मेरी लहर लहर अँगारा थी

चार सम्तें आईना सी हर तरफ़

तुम को खो देने का मंज़र और मैं

उस ने मेरे नाम सूरज चाँद तारे लिख दिया

मेरा दिल मिट्टी पे रख अपने लब रोता रहा

रंग अपने जो थे भर भी कहाँ पाए कभी हम

हम ने तो सदा रद्द-ए-अमल में ही बसर की

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