ज़िंदगी की रूदाद
तौक़ीत-ए-जौन
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
तौक़ीत-ए-जौन
14 December
सय्यद सिब्त-ए-असग़र नक़्वी अमरोहा, उत्तरप्रदेश में अल्लामा शफ़ीक़ हसन एलिया के घर पैदा हुए।
जौन हिन्दोस्तान से हिजरत कर के कराची, पाकिस्तान में आबाद हो गए।
जौन ने इसमाइलिया एसोसिएशन आफ़ पाकिस्तान में काम करना शुरू किया।
जौन ने उर्दू मुसन्निफ़ा और कालम-निगार ज़ाहिदा हिना से शादी की। बाद में 1992 में अलैहिदा हो गए।
जौन का पहला शेरी मज्मूआ 'शायद' शाए हुआ। ये उनकी ज़िंदगी में शाए होने वाला इकलौता मजमूआ था।
8 November
जौन कराची पाकिस्तान में इंतिक़ाल कर गए। उन्हें कराची के सख़ी-हसन क़ब्रिस्तान में दफ़्न किया गया।
याद थे यादगार थे हम तो
याद थे यादगार थे हम तो
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जौन एलिया का जन्म 14 दिसंबर 1931 को एक ऐसे परिवार में हुआ जिसका साहित्य और कला से पुराना सम्बन्ध था | उनके पिता शफ़ीक़ एलिया एक बड़े स्कॉलर थे | उन्हें हिब्रू, अरबी और पर्शियन के साथ-साथ संस्कृत भी आती थी
अपनी शायरी की वजह से मशहूर जौन एलिया, नस्र यानि गद्य भी बेहतरीन लिखते थे. उन्होंने ने अपने लेखों में सामाजिक रूढ़ियों से लेकर दर्शन के सवालों पर भी अपने विचार व्यक्त किये हैं
हिन्दुस्तानी सिनेमा के मशहूर निर्देशक कमाल अमरोहवी रिश्ते में जौन एलिया के चचेरे भाई थे और उन्होंने ने पाक़ीज़ा और महल जैसी बेहतरीन फ़िल्में की हैं
जौन एलिया ने अपनी शाइरी की शुरुआत 8 साल की उम्र से की लेकिन उनका पहला काव्य संग्रह "शायद" उस वक़्त आया जब उनकी उम्र 60 साल की हो गयी थी और इसी किताब ने उनको शोहरत की बलन्दियों को पहुँचा दिया
जौन एलिया पर रेख़्ता की ख़ास वीडियो पेशकश
जौन एलिया पर लिखे गए दिलचस्प मज़ामीन पढ़िए
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आज हिंदुस्तान पाकिस्तान में बहुत बड़ी तादाद ऐसों की है जो जौन के शैदाई हैं, उसकी शाइरी को किसी आसमानी सहीफ़े से कम नहीं मानते, उसकी तस्वीर, उसके पोस्टर, उसकी तर्ज़-ए-तकल्लुम की नक़्ल, उसकी तरह बाल बनाना, ये मर्तबा शायद ही किसी और शाइर को नसीब हुआ हो। ये सब जौन के उसी अंदाज़ का समरा है और जौन की ज़िन्दगी के नशेब-ओ-फ़राज़ से आगाह होने का नतीजा है।
यहाँ पढ़िएऔर शायद यही जौन की मीरास है। उस का ग़ुस्सा सिर्फ़ उस का नहीं था। ये एक मुशतर्का बोझ था, और वजूद की मुज़हका-ख़ेज़ी के ख़िलाफ़ मायूसी की एक इजतिमाई आवाज़ था। जौन ने जवाबात पेश नहीं किए; बल्कि महज़ एक आईना उठाया, और उस के अक्स ने हमें अपने अंदर और इर्द-गिर्द की हौलनाकियों का मुक़ाबला करने पर मजबूर कर दिया।
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यादों के झरोके से
पाकिस्तान के अग्रणी आधुनिक शायरों में से एक, अपने अपारम्परिक अंदाज़ के लिए मशहूर
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