अली अकबर नातिक़
ग़ज़ल 16
नज़्म 16
कहानी 5
अशआर 15
इतना आसाँ नहीं पानी से शबीहें धोना
ख़ुद भी रोएगा मुसव्विर ये क़यामत कर के
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कोई न रस्ता नाप सका है, रेत पे चलने वालों का
अगले क़दम पर मिट जाएगा पहला नक़्श हमारा भी
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आधे पेड़ पे सब्ज़ परिंदे आधा पेड़ आसेबी है
कैसे खुले ये राम-कहानी कौन सा हिस्सा मेरा है
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ग़ुबार-ए-शहर में उसे न ढूँड जो ख़िज़ाँ की शब
हवा की राह से मिला, हवा की राह पर गया
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मुख़्तसर बात थी, फैली क्यूँ सबा की मानिंद
दर्द-मंदों का फ़साना था, उछाला किस ने
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वीडियो 5
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