जमील उस्मान
ग़ज़ल 5
नज़्म 2
अशआर 5
सो जाइए हुज़ूर कि अब रात हो गई
जो बात होने वाली थी वो बात हो गई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बदलेगी काएनात मिरी बात मान लो
मुझ से मिलाओ हात मिरी बात मान लो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
है ज़िंदगी बग़ैर तुम्हारे इक इज़्तिराब
दे दो इसे सबात मिरी बात मान लो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
किस ने कहा है तुम से कि ता-उम्र साथ दो
है चार दिन की बात मिरी बात मान लो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हम राज़-ए-दिल छुपाते मगर अपनी ज़िंदगी
पूरी खुली किताब अगर हो तो क्या करें
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए