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साहिर लुधियानवी

1921 - 1980 | मुंबई, भारत

प्रख्यात प्रगतिशील भारतीय शायर व फ़िल्मी गीतकार/ सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक असमानता के विरुद्ध नज़्मों और गीतों के लिए प्रसिद्ध

प्रख्यात प्रगतिशील भारतीय शायर व फ़िल्मी गीतकार/ सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक असमानता के विरुद्ध नज़्मों और गीतों के लिए प्रसिद्ध

साहिर लुधियानवी

ग़ज़ल 67

नज़्म 100

अशआर 100

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना हो मुमकिन

उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा

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हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें

वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं

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ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है

क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को

क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया

ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ महसूस हो जहाँ

मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया

क़ितआ 4

 

क़िस्सा 3

 

लोरी 1

 

गीत 49

पुस्तकें 62

चित्र शायरी 33

वीडियो 49

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
कभी कभी

कभी कभी मिरे दिल में ख़याल आता है साहिर लुधियानवी

वज्ह-ए-बे-रंगी-ए-गुलज़ार कहूँ तो क्या हो

साहिर लुधियानवी

कभी कभी

कभी कभी मिरे दिल में ख़याल आता है साहिर लुधियानवी

बहुत घुटन है कोई सूरत-ए-बयाँ निकले

साहिर लुधियानवी

ऑडियो 37

अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी

अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो

इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के

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