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सिराज औरंगाबादी

1712 - 1764 | औरंगाबाद, भारत

सूफ़ी शायर, जिनकी मशहूर ग़ज़ल ' ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ ' बहुत गाई गई है

सूफ़ी शायर, जिनकी मशहूर ग़ज़ल ' ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ ' बहुत गाई गई है

सिराज औरंगाबादी

ग़ज़ल 125

अशआर 104

ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन जुनूँ रहा परी रही

तो तू रहा तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही

वो अजब घड़ी थी मैं जिस घड़ी लिया दर्स नुस्ख़ा-ए-इश्क़ का

कि किताब अक़्ल की ताक़ पर जूँ धरी थी त्यूँ ही धरी रही

डूब जाता है मिरा जी जो कहूँ क़िस्सा-ए-दर्द

नींद आती है मुझी कूँ मिरे अफ़्साने में

देखा है जिस ने यार के रुख़्सार की तरफ़

हरगिज़ जावे सैर कूँ गुलज़ार की तरफ़

इश्क़ और अक़्ल में हुई है शर्त

जीत और हार का तमाशा है

पुस्तकें 10

 

चित्र शायरी 2

 

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सिराज औरंगाबादी

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कौन कहता है जफ़ा करते हो तुम

ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही

ख़ाक हूँ ए'तिबार की सौगंद

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