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वामिक़ जौनपुरी

1909 - 1998 | जौनपुर, भारत

प्रमुख प्रगतिशील शायर, अपनी नज़्म ‘भूखा बंगाल’ के लिए मशहूर

प्रमुख प्रगतिशील शायर, अपनी नज़्म ‘भूखा बंगाल’ के लिए मशहूर

वामिक़ जौनपुरी का परिचय

उपनाम : 'वामिक़'

मूल नाम : सय्यद अहमद मुजतबा

जन्म : 23 Oct 1909 | जौनपुर, उत्तर प्रदेश

निधन : 21 Nov 1998

LCCN :n79099867

वामिक़ उन शायरों में से हैं जिन्होंने प्रगतिवादी विचारधारा और सिद्धांत से अपनी सुधीर्ण सम्बद्धता के आधार पर अपनी सारी ज़िंदगी और अपनी सारी योग्यतायें उसके प्रचार व प्रसार के लिए समर्पित कर दी थीं. वामिक़ ने प्रगतिवादी विचारधारा के अधीन शायरी की और अपने उस छोटे से रचनात्मक स्पेस में एक खुबसूरत दुनिया के ख़ाके बनाते रहे.

वामिक़ की पैदाइश 23 अक्टूबर 1909 को कजगांव ज़िला जौनपुर में एक ज़मींदार घराने में हुई. उनका असल नाम अहमद मुज्तबा ज़ैदी था. उनके वालिद मुहम्मद मुस्तफ़ा डिप्टी कलेक्टर के पद पर आसीन थे.वामिक़ ने आरंभिक शिक्षा बाराबंकी में प्राप्त की और हाईस्कूल करने के लिए फैज़ाबाद चले आये. लखनऊ यूनिवर्सिटी से एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की. शिक्षा पूर्ण करने के बाद कुछ दिनों तक फैज़ाबाद में वकालत की लेकिन उनकी शायराना तबियत ने उन्हें एक और ही दुनिया के सफ़र पर रवाना करदिया. उन्हीं दिनों में सज्जाद ज़हीर की संगत मिली जिनसे उनका रझान स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ़ बढ़ने लगा और वह इस राह में अपनी शायरी को एक कारगर हथियार के रूप में देखने लगे. 1944 में सरकारी नौकरी अपनायी ,इसके बावजूद वह गुप्तरूप से आंदोलन की सरगर्मियों का हिस्सा बने रहे और बागियना तेवरों से भरपूर नज़्में लिखते रहे.
वामिक़ की साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें बहुत से इनामों से भी नवाज़ा गया, जिनमें उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी एवार्ड,सोवियतलैंड नेहरु एवार्ड,मीर एकादमी एवार्ड शामिल हैं.

स्रोत : Tareekh-e-Adab-e-Urdu

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