ज़ंबील-ए-अमर
ज़ंबील-ए-अमर ऐसी पौराणिक थैली जो अमरो-अय्यार के पास थी। इस थैली में एक दुनिया आबाद थी। वो जिस चीज़ को चाहता उस में रख लेता था और वो चीज़ ग़ायब हो जाती थी। असल में ख़्वाजा अमरो दास्तान-ए-अमीर हमज़ा का अत्यंत रोमांचक और दिलचस्प किरदार है। ये अत्यंत चालाक और धोके-बाज़ है। अपनी चालाकी और धोके-बाज़ी में अतुलनीय होने के कारण उस को विभिन्न मोर्चों पर सफ़लता मिलती है। कहते हैं अमरो-अय्यार को पैग़म्बरों और फ़क़ीरों ने कई चमत्कारी और अनमोल उपहार दिए थे। ऐसे ही उपहारों में एक अमरो की ज़ंबील भी है। ज़ंबील शब्द का अर्थ झोली/टोकरी/थैली आदि है। फ़क़ीरों के प्याले/कटोरे को भी ज़ंबील कहा जाता है। ज़ंबील के बारे में कहा जाता है कि इस में सात शहर बसे थे और सात दरिया भी बहते थे। अमरो ने अपनी चलाकी से जंबील में बहुत से दानव,शैतान,राक्षस एंव जादू-गरों को क़ैद कर लिया था। इस जंबील का आयतन / फैलाव अंतहीन था, इस में कोई भी वस्तु समा जाती थी।
आठ सेर आटे का ख़ुदा है कफ़ील
पेट उस का है अम्र की जंबील
सौदा
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