aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे
उम्र तो सारी कटी इश्क़-ए-बुताँ में 'मोमिन'
आख़िरी वक़्त में क्या ख़ाक मुसलमाँ होंगे
Momin all your life in idol worship you did spend
How can you be a Muslim say now towards the end?
मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब
निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा
सब पे जिस बार ने गिरानी की
उस को ये ना-तवाँ उठा लाया
ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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