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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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Bashir Farooqi's Photo'

बशीर फ़ारूक़ी

1939 - 2019 | लखनऊ, भारत

बशीर फ़ारूक़ी के शेर

आगही कर्ब वफ़ा सब्र तमन्ना एहसास

मेरे ही सीने में उतरे हैं ये ख़ंजर सारे

चले भी आओ कि ये डूबता हुआ सूरज

चराग़ जलने से पहले मुझे बुझा देगा

हम तेरे पास के परेशान हैं बहुत

हम तुझ से दूर रहने को तय्यार भी नहीं

अजब सी आग थी जलता रहा बदन सारा

तमाम उम्र वो होंटों पे बन के प्यास रहा

पहले हम ने घर बना कर फ़ासले पैदा किए

फिर उठा दीं और दीवारें घरों के दरमियाँ

तज़्किरे में तिरे इक नाम को यूँ जोड़ दिया

दोस्तों ने मुझे शीशे की तरह तोड़ दिया

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