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न जाने कब के थमे अश्क थे छलक आए

रिज़वान सईद

न जाने कब के थमे अश्क थे छलक आए

रिज़वान सईद

MORE BYरिज़वान सईद

    जाने कब के थमे अश्क थे छलक आए

    बहुत से दोस्त मुझे याद यक-ब-यक आए

    तिरी ही शब के सितारे नहीं बने आँसू

    जाने कितने ही पलकों पे ये चमक आए

    जवाब दे गईं जब भी घुटी घुटी यादें

    तिरे ख़ुतूत के झोंके ख़ुनक ख़ुनक आए

    मिरा सफ़र था कहीं और बे-ख़ुदी की क़सम

    क़दम थे तेरी तरफ़ क्या करें भटक आए

    मुदाख़लत की फ़ज़ा तानते चलो 'रिज़वान'

    हवा की चाल में मुमकिन है कुछ लचक आए

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