उन्हें ये हट कि हम आएँगे इक पहर के लिए
उन्हें ये हट कि हम आएँगे इक पहर के लिए
नज़ीर मोहम्मद आरज़ू जयपुरी
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उन्हें ये हट कि हम आएँगे इक पहर के लिए
मुझे ये ज़िद कि नहीं आओ रात भर के लिए
सहर हुई तो वही शाम की तमन्ना है
दुआएँ शाम से माँगा किए सहर के लिए
असर दुआओं में उश्शाक़ की न हो क्यूँकर
असर दुआ के लिए है दुआ असर के लिए
तुम अपने गेसू ओ रुख़ से ही पूछ लो मैं ने
मरे फ़िराक़ में जो शाम और सहर के लिए
हमें ये ने'मत-ए-उज़मा-रसा न क्यों मिलती
ख़ुदा ने इश्क़ को पैदा किया बशर के लिए
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