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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

स्वतंत्रता दिवस पर चित्र/छाया शायरी

शायरी में वतन-परस्ती के जज़्बात का इज़हार बड़े मुख़्तलिफ़ ढंग से हुआ है। हम अपनी आम ज़िंदगी में वतन और इस की मोहब्बत के हवाले से जो जज़्बात रखते हैं वो भी और कुछ ऐसे गोशे भी जिन पर हमारी नज़र नहीं ठहरती इस शायरी का मौज़ू हैं। वतन-परस्ती मुस्तहसिन जज़्बा है लेकिन हद से बढ़ी हुई वत-परस्ती किस क़िस्म के नताएज पैदा करती है और आलमी इन्सानी बिरादरी के सियाक़ में उस के क्या मनफ़ी असरात होते हैं इस की झलक भी आपको इस शेअरी इंतिख़ाब में मिलेगी। ये अशआर पढ़िए और इस जज़बे की रंगारंग दुनिया की सैर कीजिए।

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की ख़ुशबू

लाल चन्द फ़लक

उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता

अज्ञात

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

अल्लामा इक़बाल

सच्चे वतन-परस्त का गीत

लाल चन्द फ़लक

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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