आबिद उमर के शेर
ये क्या पड़ी है तुझे दिल जलों में बैठने की
ये उम्र तो है मियाँ दोस्तों में बैठने की
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हूँ बा-वफ़ा तो मिरा सर नहीं झुकेगा कभी
जो बेवफ़ा हूँ तो फिर शर्म से गड़ा मिलूँगा
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