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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अब्बास अलवी

ग़ज़ल 3

 

अशआर 3

जानता हूँ कौन क्या है आप क्यूँ दें मशवरा

मैं लुटेरों से भी वाक़िफ़ और रहबर-आश्ना

ये तुम से किस ने कहा है कि दास्ताँ कहो

मगर ख़ुदा के लिए इतना सच यहाँ कहो

जो सारे हम-सफ़र इक बार हिर्ज़-ए-जाँ कर लें

तो जिस ज़मीं पे क़दम रक्खें आसमाँ कर लें

 

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