अब्दुल हमीद अदम
ग़ज़ल 84
अशआर 108
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़
मुझ को आदत है मुस्कुराने की
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क़ितआ 55
पुस्तकें 34
चित्र शायरी 10
मायूस हो गई है दुआ भी जबीन भी उठने लगा है दिल से ख़ुदा का यक़ीन भी तस्कीं की एक साँस हमें बख़्श दीजिए ये आसमाँ भी आप का और ये ज़मीन भी
वीडियो 26
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