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अब्दुर्रहमान मोमिन

1996 | कराची, पाकिस्तान

पाकिस्तान के नौजवान शायर

पाकिस्तान के नौजवान शायर

अब्दुर्रहमान मोमिन

ग़ज़ल 25

अशआर 27

चाँद में तू नज़र आया था मुझे

मैं ने महताब नहीं देखा था

'मोमिन-मियाँ' ये काम नहीं है ये इश्क़ है

क्या सोच में पड़े हो करूँ या करूँ नहीं

चाँद में तू नज़र आया था मुझे

मैं ने महताब नहीं देखा था

ख़ुद को कितना भुला दिया मैं ने

तू भी अब अजनबी सा लगता है

जिस रस्ते में तुम मिल जाओ

वो रस्ता मंज़िल होता है

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