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Abdussamad ’Tapish’'s Photo'

अब्दुस्समद ’तपिश’

लखमीनिया, भारत

अब्दुस्समद ’तपिश’

ग़ज़ल 21

अशआर 20

उसे खिलौनों से बढ़ कर है फ़िक्र रोटी की

हमारे दौर का बच्चा जनम से बूढ़ा है

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कोई कॉलम नहीं है हादसों पर

बचा कर आज का अख़बार रखना

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उन के लब पर मिरा गिला ही सही

याद करने का सिलसिला तो है

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जहाँ तक पाँव मेरे जा सके हैं

वहीं तक रास्ता ठहरा हुआ है

मैं भी तन्हा इस तरफ़ हूँ वो भी तन्हा उस तरफ़

मैं परेशाँ हूँ तो हूँ वो भी परेशानी में है

पुस्तकें 2

 

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