अबरार शाहजहाँपुरी
ग़ज़ल 3
अशआर 3
दिल अर्श-गाह-ए-हुस्न है दिल जल्वा-गाह-ए-नाज़
ये आप ही का घर है हमारी गुज़र कहाँ
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न पूछो जान पर क्या कुछ गुज़रती है ग़म-ए-दिल से
क़रार आना कहाँ का साँस भी आती है मुश्किल से
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ब-पास-ए-एहतिराम-ए-इश्क़ हम ख़ामोश हैं वर्ना
परेशाँ कर भी सकते हैं परेशाँ हो भी सकते हैं
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