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अदीम हाशमी

1946 - 2001 | लाहौर, पाकिस्तान

लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर जिन्होंने जन-भावनाओं को अभिव्यक्ति दी।

लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर जिन्होंने जन-भावनाओं को अभिव्यक्ति दी।

अदीम हाशमी

ग़ज़ल 35

नज़्म 1

 

अशआर 19

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा था

सामने बैठा था मेरे और वो मेरा था

क्यूँ परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'

होंट अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा

मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा

बिछड़ के तुझ से देखा गया किसी का मिलाप

उड़ा दिए हैं परिंदे शजर पे बैठे हुए

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हुआ है जो सदा उस को नसीबों का लिखा समझा

'अदीम' अपने किए पर मुझ को पछताना नहीं आता

वीडियो 5

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फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था

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फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था

अनूप जलोटा

ऑडियो 18

आग़ोश-ए-सितम में ही छुपा ले कोई आ कर

आया हूँ संग ओ ख़िश्त के अम्बार देख कर

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा

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