अफ़सर आज़री
ग़ज़ल 8
नज़्म 1
अशआर 2
ख़ुशनुमा दाएरे बनते ही चले जाते हैं
दिल के तालाब में फेंका है ये कंकर किस ने
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere