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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अफ़ज़ल गौहर राव

1965 | सरगोधा, पाकिस्तान

अफ़ज़ल गौहर राव

ग़ज़ल 22

अशआर 23

हिज्र में इतना ख़सारा तो नहीं हो सकता

एक ही इश्क़ दोबारा तो नहीं हो सकता

गुमराह कब किया है किसी राह ने मुझे

चलने लगा हूँ आप ही अपने ख़िलाफ़ में

देखना पड़ती है ख़ुद ही अक्स की सूरत-गरी

आइना कैसे बताए आइने में कौन है

मिरी तो आँख मिरा ख़्वाब टूटने से खुली

जाने पाँव धरा नींद में कहाँ मैं ने

कौन सी ऐसी कमी मेरे ख़द-ओ-ख़ाल में है

आइना ख़ुश नहीं होता कभी मिल कर मुझ से

पुस्तकें 1

 

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