Agha Shayar Qazalbash's Photo'

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

1871 - 1940 | दिल्ली, भारत

उत्तर-क्लासिकी युग के महत्वपूर्ण शायर, दाग़ देहलवी के शागिर्द।

उत्तर-क्लासिकी युग के महत्वपूर्ण शायर, दाग़ देहलवी के शागिर्द।

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

ग़ज़ल 21

अशआर 13

पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था

रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया

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मिलना मिलना ये तो मुक़द्दर की बात है

तुम ख़ुश रहो रहो मिरे प्यारे जहाँ कहीं

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बड़े सीधे-साधे बड़े भोले-भाले

कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा

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तुम कहाँ वस्ल कहाँ वस्ल की उम्मीद कहाँ

दिल के बहकाने को इक बात बना रखी है

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अबरू सँवारा करो कट जाएगी उँगली

नादान हो तलवार से खेला नहीं करते

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