अहमद इरफ़ान
ग़ज़ल 12
अशआर 1
मेरे अश्जार अज़ादार हुए जाते हैं
गाँव के गाँव जो बाज़ार हुए जाते हैं
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere