aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अजमल अजमली

1932 - 1993 | इलाहाबाद, भारत

प्रसिद्ध शायर, अनुवादक और लेखक

प्रसिद्ध शायर, अनुवादक और लेखक

अजमल अजमली

ग़ज़ल 11

अशआर 8

माँ ने लिखा है ख़त में जहाँ जाओ ख़ुश रहो

मुझ को भले याद करो घर भूलना

हज़ार मंज़िल-ए-ग़म से गुज़र चुके लेकिन

अभी जुनून-ए-मोहब्बत की इब्तिदा भी नहीं

जब भी मिलता हूँ वही चेहरा लिए

बद-दुआ देता है आईना मुझे

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कितनी तवील क्यूँ हो बातिल की ज़िंदगी

हर रात का है सुब्ह मुक़द्दर भूलना

आरज़ू थी खींचते हम भी कोई अक्स-ए-हयात

क्या करें अब के लहू आँखों से टपका ही नहीं

पुस्तकें 12

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