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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अकबर मासूम

1960 - 2019 | कराची, पाकिस्तान

अकबर मासूम

ग़ज़ल 13

अशआर 10

उजाला है जो ये कौन-ओ-मकाँ में

हमारी ख़ाक से लाया गया है

ऐसा एक मक़ाम हो जिस में दिल जैसी वीरानी हो

यादों जैसी तेज़ हवा हो दर्द से गहरा पानी हो

तिरे ग़ुरूर की इस्मत-दरी पे नादिम हूँ

तिरे लहू से भी दामन है दाग़दार मिरा

वो और होंगे जो कार-ए-हवस पे ज़िंदा हैं

मैं उस की धूप से साया बदल के आया हूँ

है मुसीबत में गिरफ़्तार मुसीबत मेरी

जो भी मुश्किल है वो मेरे लिए आसानी है

पुस्तकें 2

 

वीडियो 4

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अकबर मासूम

अकबर मासूम

अकबर मासूम

ये सारे फूल ये पत्थर उसी से मिलते हैं

अकबर मासूम

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