aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1911 - 1977 | मुंगेर, भारत
प्रसिद्ध आलोचक, शोधकर्ता, कथाकार और शायर,अपनी रोमांटिक नज़्मों के लिए भी जाने गए।
मौत और ज़िंदगी के दरमियान भी इंसानियत दर्जों में बटी हुई है। घर, अस्पताल और क़ब्रिस्तान हर जगह नंबर एक, नंबर दो तीन की तफ़रीक़ होती है।
न मिज़ाज-ए-नाज़-ए-जल्वा कभी पा सकीं निगाहें
कि उलझ के रह गई हैं तिरी ज़ुल्फ़-ए-ख़म-ब-ख़म में
मैं मुंतज़िर हूँ तेरी तमन्ना लिए हुए
आ जा फ़रोग़-ए-हुस्न की दुनिया लिए हुए
जुनूँ भी ज़हमत ख़िरद भी ल'अनत है ज़ख़्म-ए-दिल की दवा मोहब्बत
हरीम-ए-जाँ में तवाफ़-ए-पैहम यही है अंदाज़-ए-आशिक़ाना
कितने ताबाँ थे वो लम्हात तिरे पहलू में
दो घड़ी मेरी भी फ़िरदौस मिना गुज़री है
मिरी आरज़ू की तस्कीं न करम में ने सितम में
मिरा दिल मुदाम तिश्ना तिरी रह के पेच-ओ-ख़म में
Akhtar Orenvi
Hindustani Adab Ke Memar
2004
अख़्तर ओरेनवी के अफ़्साने
1977
Anjuman-e-Arzu
1964
Bihar Mein Urdu Zaban-o-Adab Ka Irtiqa
1957
1857 Tak
Bihar Mein urdu Zuban-o-Adab Ka Irtiqa
Ek Karobari
Ek Mamooli Si Ladki
Guzarish
Hasrat-e-Tameer
1997
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